Sunday, November 21, 2021

सफ़र के बाद

 देर गुज़र के सफ़र के बाद

मिला हैं तर्जुबा एक असर के बाद,

खुली जो आँख तो होश आया

था फिर वहीं ख़्वाब सहर के बाद,

एक खुशनुमा गहरी सांस के लिए

तरस जाएंगे आखरी शजर के बाद,

लौट के जाएं भी तो भला कैसे

कौन दिखायेगा राह हमसफ़र के बाद,

बस यही शायद अब बची हैं एक उम्मीद

मिल जायेंगी मंज़िल इसी समर के बाद । 





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