Friday, May 1, 2020

अफ़वाह

क्या बुरा हैं अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाएं,
की पानी मिलेगा स्वच्छ और ताज़ा
जब तक ये दुनिया कायम है,
और मिलेगी रूहानी हवा
जब तक सांस महफूज़ हैं,
सबको मिलेगा काम और रोज़गार,
नहीं जाना पड़ेगा स्कूल के बाहर
अगर नहीं भी हैं पैसे तो,
और होगा इलाज़
हर बीमारी का सभी का बराबर,
मिलेगा एक आसरा सभी को
और ना सोएगा कोई भी भूखा कभी,
ना होंगे कहीं पर भी दंगे और फसाद
मज़हब के नाम पर,
और ना होगा कहीं पर भी
भेदभाव किसी बुनियाद पर,
ना होगा भ्रष्टाचार
और ना किसी पे अन्याय होगा,
जो भी होगा सबके सामने
खुला खुला व्यवहार होगा,
सब को मिलेगा मौका
जीने का अपने अपने तरीकों से,
और रहेगी आज़ादी
अपनी सोच रखने की,
और कभी किसी को
ना परखा जाएगा
उस की सोच से,
होगी शामिल दुनियां भी
सभी के सुख और दुख में,
और ना किसी के हक
पर गाज कोई आएगी,
सब कुछ ठीक हो जाएगा
इस लॉकडॉउन के बाद
रहेंगे मिल जुल कर
और देंगे सभी का साथ,
किसी से जान से बढ़कर
और कोई भी बात ना होगी,
फिर शायद दुनियां भी
अपनी सही सलामत होगी ।
क्या बुरा हैं अगर ये अफ़वाह उड़ा दी जाएं..


(हम ’ने दूंढ लिया है लोगों के दुःख दर्द का इलाज , क्या बुरा है जो ये अफवाह उड़ा दी जाए ", ये शेर मैंने फ़िल्म घात के शुरुवात में सुना था, ये किसने लिखा है पता नहीं कर पाया।  🙏 साभार )

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