Friday, May 1, 2020

सत्य क्या हैं ?

क्या मैं सत्य से परिचित हूं ?
जो दिख रहा हैं आज, वो किसका सत्य हैं?
मैंने किस की बात को सत्य माना?
क्यों...?
क्या मेरा अपना अनुभव ही सत्य हैं?
क्या सत्य की सापेक्षता उसका रूप बदल देगी?
क्या किसी का प्रभाव मेरा सत्य हैं?
क्या किसी की राय मेरा सत्य हैं?
मेरा नज़रिया मेरा सत्य है?
मेरा नज़रिया बदला तो मेरा सत्य बदल जाएगा?
सत्य एक अनुभव हैं, तो मेरा कितना हैं?
लोगों को मरते देख मैं सिसक जाता हूं और
मारने की बात करता हूं, क्यों?
किसी को, गाली का ज़वाब गाली से देता हूं,
ना दू तो नपुंसक कहलाता हूं,
क्या मेरे पुरुषार्थ का अपना कोई मतलब नहीं,
सब किसी और के मतलब पर निर्धारित,
मैं भावूक, असहाय,
किसी अन्याय के ख़िलाफ़ जब आवाज़ उठाता हूं,
तो मैं किस न्याय की बात करता हूं?
किस के पक्ष में जाता हैं वो न्याय?
कैसे हो जाता हैं समाधान?
कैसे होता है समर्थन न्याय और अन्याय का?
क्या मैं सत्य से परिचित हूं ?
जो दिख रहा हैं आज वो किसका सत्य हैं?

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